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कांप उठती है रूह जब सोंचता हूं

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                            लाल हुई जमीन फिर,                             किसी मासूम रक्त से।                             नन्ही सी जान खूब लड़ी,                             उस महरूम वक्त से। बलात्कार की हर घटना हम सबको पिछली घटना को लेकर हुई बहस पर सोचनें पर मजबूर कर देती  है । सारे सवाल उसी तरह इशारा कर  रहे होते हैं, निर्भया कांड, बलात्कार का वो मामला, जिसने सड़क से संसद तक और देश से दुनिया तक, हर जगह तहलका मचा दिया था। 16 दिसंबर, 2012 दिल्ली के मुनीरका में छह लोगों ने एक बस में पैरामेडिक छात्रा से सामूहिक बलात्कार और वहशीपन किया। घटना के बाद युवती और उसके दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया गया।  इसके बाद इतना सख़्त कानून बना इसके बाद भी हमारे सामने हर दूसरे दिन निर्भया जैसी दर्दनाक घटना सामने आ खड़ी होती है। कानून से ठीक होना था, कानून से नहीं हुआ, भीड़ से ठीक होना था, भीड़ से भी नहीं हुआ।  इसकी बीमारी हिन्दू मुस्लिम की राजनीति में नहीं, दोनों समुदायों में पल रहे पुरुष मानसिकता में है। अब ये कोई नए सिरे से जानने वाली बात नहीं रही, सबको सबकुछ पता है। इसके बाद भी बलात्क